ओशो के प्रेरणादायक विचार हिंदी में
ओशो (Osho) जिनका दूसरा नाम रजनीश चंद्र मोहन था भारत के अध्यात्मिक गुरूओं में से एक थे। उन्होंने विश्व के प्रमुख धर्मों की व्याख्या की तथा उसे विस्तृत रूप से दुनिया के सामने रखा। वे ध्यान, प्यार और खुशी को इंसान के जीवन का प्रमुख मूल्य मानते थे और उनका विश्वास था कि मनुष्य शांति तथा सत्य की खोज अपने अंदर विधिमान ईश्वर में ध्यान लगाकर कर सकता हैं। हालांकि उनका जीवन बहुत ही अल्प रहा परन्तु उन्होंने अल्प काल में ही 600 से ज्यादा पुस्तकों की रचना की तथा हजारों संख्या में देश-विदेश में व्याख्यान दिए।
कोई आदमी चाहे लाखों चीजें जान ले। चाहे वह पूरे जगत को जान ले। लेकिन अगर वह स्वयं को नहीं जानता है तो वह अज्ञानी है।
मैं तो दो ही शब्दों पर जोर देता हूं- प्रेम और ध्यान। क्योंकि मेरे लिए अस्तित्व के मंदिर के दो ही विराट दरवाजे हैं। एक का नाम प्रेम, एक का नाम ध्यान। चाहो तो प्रेम से प्रवेश कर जाओ, चाहो तो ध्यान से प्रवेश कर जाओ। शर्त एक ही हैः अहंकार दोनों में छोड़ना होता है।
जहां आपको लगता है कि कुछ निंदा हो रही है वहीं आपको रस आता है, रस आता है क्योंकि दूसरा आदमी छोटा किया जा रहा है और उसके छोटे होने से आपको अंदर से अनुभव होता है कि मैं बड़ा हूं।
उस तरह मत चलिए जिस तरह डर तुम्हे चलाये, उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम तुम्हे चलाये, उस तरह चलिए जिस तरह खुशी तुम्हे चलाये।
अपने जीवन को संगीतपूर्ण बनाओ, ताकि काव्य का जन्म हो सके। और फिर सौदर्य ही सौंदर्य है, और सौदर्य ही परमात्मा का स्वरूप है।
जिंदगी को अगर हमें जिंदा बनाना है, तो बहुत सी जिंदा समस्याएं खड़ी हो जाएंगी। लेकिन होनी चाहिए और अगर हमें जिंदगी को मुर्दा बनाना है, तो हो सकता है हम सारी समस्याओं को खत्म कर दे, लेकिन तब आदमी मरा-मरा जीता हैं।
तुमने पद, धन, यश, कीर्ति, प्रेम इन सबकी चेष्टाएं की, बस एक ध्यान के दीए को जलाने की चेष्टा नहीं की, वही काम आएगा। मृत्यु केवल उसी दीए को नहीं बुझा पाती। बुद्ध कहते हैं, ध्यान अमृत सूत्र है।
शायद मुझे अब तक सबसे अधिक गलत समझा गया है लेकिन इसका मुझ पर कोई असर नहीं। कारण केवल इतना है कि मुझे सही समझे जाने की जिज्ञासा नहीं। यदि वे सही नहीं समझते तो यह उनकी समस्या है, यह मेरी समस्या नहीं है। यदि वे गलत समझते हैं तो यह मेरी नहीं, उनकी समस्या है, उनका दुख है। मैं अपनी नींद नहीं खराब करूंगा यदि लाखों लोग मुझे गलत समझ रहे हैं।
संसार सुन्दर है क्योंकि इसे ईश्वर ने बनाया है। जो संसार को गंदा कहता है, वह ईश्वर का तिरस्कार कर रहा है।
अगर आप सही में सच देखना चाहते हैं तो आप ना सहमती और ना असहमति में राय रखिये।
इस संसार में मित्रता शुद्धतम् प्रेम है, मित्रता प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहां कुछ भी मांगा नहीं जाता, कोई शर्त नहीं होती, जहां बस दिया जाता है।
जिन्दगी में आप जो करना चाहते है, वो जरूर कीजिये, ये मत सोचिये कि लोग क्या कहेंगे। क्योंकि लोग तो तब भी कुछ कहते है, जब आप कुछ नहीं करते।
जब दिल में प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है।
मनुष्य खुद ईश्वर तक नहीं पहुंचता है, बल्कि जब वह तैयार होता है तो ईश्वर खुद उसके पास आ जाते है।
आपको किसी से किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है आप स्वयं जैसे है बिल्कुल सही है। बस खुद को स्वीकार करना सिखिए।
बड़ा सवाल ये नहीं है कि कितना सीखा जा सकता है…. इसके उलट, सवाल ये है कि कितना भुलाया जा सकता है।
मैं ‘किसी से’ बेहतर करूं क्या फर्क पड़ता है….! मैं ‘किसी का’ बेहतर करूं बहुत फर्क पड़ता है……!!
जीवन क्या है? कुछ नहीं, ठेहराव और गति के बीच का संतुलन।
असली सवाल यह है कि भीतर तुम क्या हो? अगर भीतर गलत हो, तो तुम जो भी करोगे, उससे गलत फलित होगा। अगर तुम भीतर सही हो, तो तुम जो भी करोगे, वह सही फलित होगा।
जब आप हंस रहे होते हैं, तो ईश्वर की ईबादत कर रहे होते हैं। और जब आप किसी को हँसा रहे होते हैं, तो ईश्वर आपके लिए ईबादत कर रहा होता है।
सारी शिक्षा व्यर्थ है, सारे उपदेश व्यर्थ है, अगर वे तुम्हें अपने भीतर डूबने की कला नहीं सीखाते।
जो व्यक्ति भीतर सत्य को अनुभव करता है, उसका सारा जीवन सौदर्य से, शांति से और संगीत से भर जाता है। उसका सारा जीवन उन प्रतिध्वनियों को, उन तरंगों को प्रवाहित करने लगता है, जो सारे जगत के लिए शांति की और शीतलता की छाया बन सकती है।
ओशो के प्रेरणादायक विचार हिंदी में
Reviewed by Ankita
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सोमवार, दिसंबर 26, 2016
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