मई महीने के दूसरे रविवार को ही क्यूँ मनाया जाता है मदर्स डे , यह है राज
माँ को समर्पित यह दिन 1600 ई० में पहली बार ग्रीक साम्राज्य में मनाये जाने का उल्लेख मिलता है। उस समय ग्रीक देवताओं की माँ रेया के सम्मान में मदर्स -डे मनाया जाता था।
इसके बाद इंग्लैंड में ईस्टर के 40 दिन बाद पड़ने वाले प्रथम रविवार को प्रभु यशु की माँ 'मरियम' की याद में यह दिन मनाया जाने लगा। इस दिन लोग घरों में स्पेशल 'मोर्रिंग' केक बनाते थे। वर्षभर वहां सामंतों के पास काम करने वाले मज़दूरों को एक भी छुट्टी नहीं मिलती थी परन्तु मदर्स डे वाले शनिवार-रविवार के दिन मज़दूरों को छुट्टी देने की परंपरा की शुरुआत की गयी ।
इसके बाद अमेरिका में एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता जूलिया वार्ड हौवे ने 1870 ई ० में वहां फैले गृहयुद्ध के विरोध में वहां की महिलाओं की तरफ से एक शांति घोषणा पत्र जारी किया जिसमें कहा गया कि निर्दोष बच्चे और महिलाएं युद्ध से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं।
उनका मानना था इस दिन को 'मदर्स डे ऑफ़ पीस ' का नाम दिया जाना चाहिए। उनकी इस कोशिश को जाविस नामक सामाजिक कार्यकर्त्ता ने आगे जारी रखा। उन्होंने परिवार में भावनात्मक बंधन को मज़बूत बनाने के उद्देश्य से माँ को उपहार और विशेष सम्मान देने जैसे परम्पराओं को इस दिन में शामिल किया।
उनका मानना था इस दिन को 'मदर्स डे ऑफ़ पीस ' का नाम दिया जाना चाहिए। उनकी इस कोशिश को जाविस नामक सामाजिक कार्यकर्त्ता ने आगे जारी रखा। उन्होंने परिवार में भावनात्मक बंधन को मज़बूत बनाने के उद्देश्य से माँ को उपहार और विशेष सम्मान देने जैसे परम्पराओं को इस दिन में शामिल किया।
इन्ही प्रयासों के बाद पुरे यूरोप और अमेरिका में 10 मई 1908 को मदर्स डे मनाया गया। उस दिन के बाद यह दिन पुरे विश्व में मई महीने के दूसरे रविवार को "मदर्स डे " के रूप में मनाया जाता है।
मई महीने के दूसरे रविवार को ही क्यूँ मनाया जाता है मदर्स डे , यह है राज
Reviewed by Ankita
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मंगलवार, मई 02, 2017
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